अजीब लगता है ये जान कर की जिस वजह से हम इस दुनिया मे है जिस वजह से हमारा अस्तित्व है हम उसके बारे में बात करने तक से शर्माते है, ये सिर्फ लड़को की बात नही है अक्सर देखा गया है कि लड़कियां भी इसके बारे में बात करने से शर्माती है, जिसकी जरूरत नही है,

पीरियड मासिकधर्म एक ऐसा वरदान है जिसके कारण एक लड़की लड़की है जिसके कारण ही हमे मातृत्व प्रदान हुई है,
अलग अलग जगह पीरियड को ले के अलग अलग मानसिकता बनी हुई है, कही पूजा पाठ की मनाही है तो रसोई में न घुसने की जो कही न कही पुरानी रूढ़िवादी सोच का नतीजा है। और ये उस समय की बात है जब हमारे पास सुविधाएं नही थी इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण छुपे है जिसके अनुसार लड़कियों को महिलाओं को पीरियड के दिनों में आराम करना चहिये अपना ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखना चाहिए, साफ सफाई भी बेहद आवश्यक है,
लेकिन अगर पुराने समय में किसी को वैज्ञानिक कारण समझना मतलब खुद का सिर पत्थर में मरना इसलिए ऐसे नियम बनाये गए क्योंकि जानकारों को पता था कि अगर इसे रीतिरिवाज का नाम दे दिया जाए तो उतना मुश्किल नही होगा लड़किया महिलाओं को पीरियड के दिनों में आराम देना, जो अब एक कुरीति का रूप ले चुकी है।

आधुनिक जीवन शैली में थोड़ा परिवर्तन तो हुआ है लेकिन आज भी कई आधुनिक लोग इसके बारे में बात करने से शर्माते है हिचकिचाते है, पिछड़े इलाके में आज भी पीरियड मासिकधर्म के दिनों में उन्हें अशुद्ध माना जाता है जो कि इंसानियत के नजरिये से भी गलत है,
जब एक लड़की 11-12 साल की होती है तब वो बड़ी होती है उसे ये वरदान मिलता है कि अब वो एक नए जीवन को इस दुनिया मे ले सकती है जिसमें सबसे मुख्य भूमिका पीरियड मासिकधर्म का ही होता है,क्योंकि इससे ही पता चलता है कि आप कितने सक्षम है एक नई जिंदगी को इस धरती में लाने के लिये,

लोगो को ये समझने की जरूरत है कि पीरियड मासिकधर्म कोई श्राप नही है ये वरदान है और ये हमारे शरीर का महत्वपूर्ण कार्य है जैसे हम सांस लेते है जैसे हमारा दिल का धड़कना जरूरी है ठीक वैसे ही एक नए जीवन को लाने के लिए ये भी जरूरी है, ये हर महीने होने वाली वो क्रिया है जो बेहत जरूरी है इससे शर्माने की नही इसके बारे में खुल के बात करने की जरूरत है।।

True.
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Thanku
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My pleasure 😊
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Stay connected
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बेहतर समझावा। ✌👍
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शुक्रिया
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