गणेश चतुर्थी

हिन्दू कथाओं के अनुसार माना जाता है कि श्री गणेश जी ने सारे देवतावो को पीछे छोड़ प्रथम पूज्य देव का वरदान प्राप्त किया था, तभी से किसी भी शुभ कार्य से पहले इनकी पूजा की जाती है,

यह पर्व हिन्दू पंचांग (calender) के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी के दिन समापन होता है।।

इस पर्व में प्रतीक के रूप में मिट्टी के बने श्री गणेश जी की मूर्ति/प्रतिमा की पूजा की जाती है, जिसे घरों में छोटे स्तर पर एवं सामाजिक रूप में बड़ी मूर्तिया बड़े स्तर पर स्थापित की जाती है।।

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है

माना जाता है कि श्री गणेशजी को मोदक बहुत ज्यादा पसंद थे इसलिए मुख्यतः उनको मोदक के ही भोग लगाएं जाते है जिसको बाद में भक्तों को प्रशाद के रूप में वितरित किया जाता है।।

भारत मे महाराष्ट की गणेश चतुर्थी पूरी दुनिया मे प्रसिद्ध है अलग अलग राज्यो से एवं कई देशों से लोग गणेश चतुर्थी देखने महाराष्ट भी आते है।

पूरे इंडिया में बड़े धूम धाम से गणेश चतुर्थी के पर्व मनाया जाता है, जिसमे श्री गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाती है और अनंत चतुर्दशी के दिन उस मूर्ति को बड़े आदर सम्मान के साथ विसर्जित किया जाता है, माना जाता है श्री गणेश के आने से सुख समृद्धि आती है और मूर्ति विसर्जन के साथ सारी परेशानियां दुख तकलीफ खत्म हो जाती है।

यह त्योहार सभी को उत्साह में भर देता है, बड़ी बड़ी मूर्तिया स्थापित की जाती है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे साक्षात श्री गणेश वहां पधारे हो।।

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥

अर्थात- हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं । बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है।।

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