सुबह की लाली के साथ जब आये,
हाय मन को कितना भये,
बारिश के बाद जब खिले,
इंद्रधनुष भी संग लाये,
वो सात रंग मन को कितना ललचाये,
ढलती शाम की रोशनी भी मन को महकाये,
सर्दियों की धूप मन को कितना भये,
गर्मियों की धूप देख जी करे हाय हाय,
हर मौसम इसमें अलग है बात,
हड्डियों के लिए छुपा है इसमें राज।।
