Woman’s day

एक महिला/लड़की के जीवन जितने सघर्ष होते है वो एक लड़की ही समझ सकती है, इस पितृसत्ता की दुनिया मे अगर कोई लड़की आगे बढ़ना चाहे तो आज भी कई जगहों में उन्हें नीचे गिराने की पूरी कोशिश की जाती है।। बहुत बार वो गिर भी जाती है और बहुत बार आगे बढ़ जाती है लेकिन फिर भी हर जगह उसे भेद भाव वाली नजरो से देखा जाता है, कपड़ो से उसे आंका जाता है।।

कभी समाज का हवाला देकर, तो कभी परिवार के इज्जत की बात कर उसे रोका जाता है, और इस बात से हर कोई वाकिफ़ है कि आज भी बेटियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है।।

सरकार नियम तो बहुत से बनाती है लेकिन पैसे से बिक जाने वाले लोग उस नियम से डरते कहा है और उस मासूम को जन्म से पहले ही मार देते है।।

वही दूसरी तरफ आज भी दहेज के नाम पर न जाने कितनी बेटियां बली चढ़ जाती है तो कभी कभी व्व मर मर के जिंदा रह जाती है।।

एक औरत कमजोर नही होती,

बस उसे कुछ करने का अवसर नही दिया जाता।।

और जहां अवसर दिया जाता है

वहां साथ नही दिया जाता,

एक बार साथ दे कर तो देखो क्या पता वो बेटो से ज्यादा आगे निकल जाए!!

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