हा उन शहिदो को सम्मान दिलाने आई हूँ,
खून से लतपत छोड़ दी जिन्होंने अपनी सांसे उनके बारे में बताने आई हूँ,
जिस देश के लिए लड़ते लड़ते जान दे दी
उंसी देश की बुराई सुनाने आई हूँ,
यहां हर नेता है बिकाऊ खुले आम बताने आई हूँ,
कोई दूध सा धुला नही इस हकीकत से रूबरू कराने आई हूँ,
सोशल मीडिया में चार दिन बात कर चुप्पी साधने वालो को आइना दिखाने आई हूँ आज के नवयुवा को फिर से जगाने आई हूं, फुलवामा से झीरम तक का हर हमला याद दिलाने आई हूं।।
इस देश के वीर शहीदों को सम्मान दिलाने आई हूँ,
अधिकार दिलाने आई हूँ,
कापती है रूह कपटी नेताओ को देख कर,
कैसे मुह मोड़ देते है आसानी से खून से यू लतपत छोड़ कर,
सांस थमी वो मोन हुये,
थम गई गोलियों की बारिश,
रंगों की जगह शैतानो ने मना ली खून ही होली,
कैसे संभालेगी खुद को उन शहीदों की माँ जो है खुद इतनी भोली।।
कोई बताएगा क्या क्यों खेल रहे ये नेता अब आंख मिचौली
अब सोशल मीडिया में बात होती,
एक नेता दूसरे पर कीचड़ उछालेगा,
लेकिन सुन लो तुम भी कोई पाक नही,
हो जाओगे एक दिन राख यही,
अपनी गैरत को सम्भालो और कुछ रोकथाम करो,
एक दूसरे के बारे में बात कर भारत माँ को यू बदनाम न करो।।
